आपने कभी होळी मंगलाई है??
अगर नही तो , आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि होळी मंगलाते समय उसकी लपटों की ऊँचाई से खुशी का अंदाजा लगाया जाता है , होळी की आग में गेंहू ,चने भूनकर खाये जाते थे, होळी की लपटों से काजल बनाकर उसको आंखों में लगाया जाता था।
सबसे बड़ी बात होळी के उत्सव की तैयारी बड़े जोर शोर से की जाती थी जिंसमे घर आंगन को लीपना पोतना से लेकर रंग बिरंगे कपड़े और खाने पीने के विशेष पकवान के साथ भांग अफीम दारू जैसे पेयों का जुगाड़ किया जाता था ।
इन सब प्रक्रियाओं में होळी के स्त्री होने का और उसको जलाने का जरा भी बोध नही होता
और आपने जो कहानी सुनी है वो कुछ अक्षरज्ञानियो द्वारा लिखी गई मनघडंत कहानी है , जिसका व्यवहारिक और ग्रामीण भारत से कोई संबंध नही रहा।
होळी को राम राम , इस बात का सबूत है कि इस दिन किसी महिला को कभी नही जलाया जा सकता।
किताबी ज्ञान से ज्यादा व्यवहारिक ज्ञान बड़ा होता है
होलिका दहन वाला तो ज़रूर अख़बार टीवी गूगल पे पढ़ा
बाक़ी होली मंगलाने वाला गाम में बचपन से सुनते आ रहे है और मँगलाये भी है